पंचकेदार
पंच केदार उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के केदारखंड में स्थित हैं। पंच केदार में प्रथम केदारनाथ द्वितीय मध्यमेश्वर, तृतीय तुंगनाथ, चतुर्थ रुद्रनाथ, पंचम कल्पेश्वर आते हैं। इन पांच स्थानों पर भगवान शिव को समर्पित पौराणिक मंदिर हैं। जिन्हें पांडवो ने बनवाया था l सकन्द पुराण में पंच केदार का वर्णन दिया गया है। इसका वर्णन महाभारत में भी पंचकेदार का उल्लेख मिलता है।
Overview
* हरिद्वार से हरिद्वार :- 11 रात 12 दिन
* अधिकतम ऊँचाई : तुंगनाथ 3690 मीटर
* ग्रेड : आसान से मध्यम ऊंचाई
* क्षेत्र : केदारनाथ, केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी
* कुल ट्रैकिंग : 128 किमी पंचकेदार (दोनों ओर से)
* प्रारंभिक बिंदु : हरिद्वार
* अंतिम बिंदु : हरिद्वार
* सर्वोत्तम समय : मई से अक्टूबर
पंचकेदार कथा
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों पर भ्रातृहत्या दोष लगा था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए पांडवों ने देवों के देव महादेव के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेने की सोची। लेकिन शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे। शिव क्रोधित होकर केदारखंड में छुप गये l जब केदारखंड पहुंचने के बाद भी पांडवों को शिव के दर्शन नहीं हुए, तब पांडवों ने शिव की खोजना शुरू कर दिया । महादेव को लगा कि पांडव उन्हें ढूंढ लेंगे, तब शिवजी ने बैल का रूप धारण किया और जानवरों के बीच चलने लगे। भीम को संदेह हुआ, इन जानवरों के बीच महादेव भी छुपे हो सकते है l भीम ने विशाल रूप धरकर दो विपरीत चट्टानों पर पैर रख लिए और बाकी पांडव उन जानवरों को भीम के पैरों के नीचे से हांकने लगे। सभी गाय-बैल डर गये और भीम के पैरों के नीचे से भाग गये, लेकिन भीम, बैलरूपी शिव . भीम के पैरों से विपरीत दिशा में भागने लगे l भीम समझ गया कि ये भोलेनाथ हैं, महाबली भीम ने दौड़कर बैल की कूबड़ पकड़ ली, भीम शिव रूपी बैल को काबू में करने लगे, लेकिन शिव धरती के अंदर समाने लगे, फिर भी भीम ने बैल की पीठ नहीं छोड़ी। तब महादेव ने पांडवो के भक्तिभाव से प्रसन्न होकर दर्शन दिए, और उन्हें पाप मुक्त कर दिया।
शिव का पृष्ठ भाग केदारनाथ में प्रकट हुआ, मध्य भाग नाभि मध्यमहेश्वर में, भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं,अग्र भाग पशुपतिनाथ नेपाल में प्रकट हुईं, बाद में पांडवों ने इन स्थानों पर मंदिर बनवाये l